इलाहाबाद हाईकोर्ट में कृष्णजन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद की सुनवाई शुरू

0
Allahabad High Court

कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में हिंदू पक्ष ने बुधवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कहा कि 1968 में दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते या 1974 में पारित अदालती फैसले में देवता एक पक्ष नहीं थे।

हिंदू पक्ष के वकील ने यह भी कहा कि दावा किया गया समझौता श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान द्वारा किया गया था, जिसे इस तरह के किसी भी समझौते में प्रवेश करने का अधिकार नहीं था।

हिंदू पक्ष ने तर्क दिया कि संस्थान का उद्देश्य केवल मंदिर की रोजमर्रा की गतिविधियों का प्रबंधन करना था और उसे इस तरह का समझौता करने का कोई अधिकार नहीं था।

मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह मस्जिद को “हटाने” की मांग वाले मुकदमे की सुनवाई के दौरान ये दलीलें दी गईं।

मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन मुस्लिम पक्ष द्वारा मुकदमे की पोषणीयता को लेकर दायर याचिका पर कर रहे हैं।

हिंदू पक्ष की ओर से गुरुवार को भी बहस जारी रहेगी।
पिछली सुनवाई के दौरान, मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वकील तसलीमा अजीज अहमदी ने अदालत के समक्ष कहा था कि मुकदमा परिसीमा द्वारा वर्जित है।

अहमदी के अनुसार, पार्टियों ने 12 अक्टूबर, 1968 को एक समझौता किया था। उन्होंने कहा था कि 1974 में तय किए गए एक सिविल मुकदमे में समझौते की पुष्टि की गई है।

उन्होंने तर्क दिया था कि किसी समझौते को चुनौती देने की सीमा तीन साल है लेकिन मुकदमा 2020 में दायर किया गया है और इस प्रकार वर्तमान मुकदमा सीमा से बाधित है।

सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने कहा कि वक्फ अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होंगे क्योंकि विवादित संपत्ति वक्फ संपत्ति नहीं है।

इसमें कहा गया कि मुकदमा चलने योग्य है और इसकी गैर-बरकरारता का फैसला प्रमुख सबूतों के बाद ही किया जा सकता है। हिंदू पक्ष की और से एडवोकेट विष्णु जैन ने कोर्ट में दलीलें रखीं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *