मध्य-पूर्व में इजरायल-ईरान युद्ध (Israel-Iran war) ने वैश्विक भू-राजनीति को एक नए संकट की ओर धकेल दिया है। इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले और इसके जवाब में ईरान की मिसाइल कार्रवाई ने मध्य-पूर्व संकट को और गहरा कर दिया है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह तनाव तीसरा विश्व युद्ध शुरू कर सकता है, क्योंकि अमेरिका, रूस, और चीन जैसे वैश्विक शक्तियां इस संघर्ष में अपनी स्थिति स्पष्ट कर रही हैं। इस जटिल परिदृश्य में भारत की भूमिका और पीएम मोदी की कूटनीतिक कुशलता महत्वपूर्ण हो सकती है। भारत की गुट-निरपेक्ष नीति और वैश्विक मंचों पर उसकी तटस्थ छवि इसे शांति कूटनीति का एक मजबूत खिलाड़ी बनाती है।
इजरायल-ईरान युद्ध का उद्भव
इजरायल-ईरान तनाव (Israel-Iran war) की शुरुआत ऐतिहासिक और रणनीतिक मतभेदों से हुई। ईरान का परमाणु कार्यक्रम इजरायल के लिए प्रमुख चिंता का विषय रहा है, जिसे वह अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है। 2025 में इजरायल ने ऑपरेशन राइजिंग लायन के तहत ईरान के परमाणु सुविधाओं पर सटीक हमले किए, जिससे मध्य-पूर्व तनाव चरम पर पहुंच गया। जवाब में, ईरान ने मिसाइल हमले शुरू किए, जिसमें हिजबुल्लाह जैसे प्रॉक्सी समूहों ने भी हिस्सा लिया। इस Operation Rising Lion ने क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ाया और Iran nuclear program को वैश्विक चर्चा का केंद्र बना दिया।
इस संघर्ष में वैश्विक शक्तियां भी शामिल हो रही हैं। अमेरिका ने Israel attacks का समर्थन किया, जबकि रूस और चीन ने Hezbollah और ईरान के प्रति सहानुभूति दिखाई। इससे Middle East tension ने एक वैश्विक युद्ध की आशंका को जन्म दिया है।
तीसरे विश्व युद्ध का खतरा
तीसरा विश्व युद्ध की आशंका केवल इजरायल-ईरान युद्ध तक सीमित नहीं है। यूक्रेन-रूस युद्ध और दक्षिण चीन सागर में तनाव जैसे अन्य वैश्विक तनाव इस स्थिति को और जटिल बना रहे हैं। हाइब्रिड युद्ध, जिसमें साइबर हमले, प्रॉक्सी युद्ध, और आर्थिक प्रतिबंध शामिल हैं, ने Third World War के खतरे को और बढ़ा दिया है। मध्य-पूर्व में तेल आपूर्ति पर निर्भरता के कारण, इस क्षेत्र में अस्थिरता वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती है। सऊदी अरब और कतर जैसे देश तटस्थ रहने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन regional tension का प्रभाव अपरिहार्य है। भारत जैसे देश, जो global powers के बीच संतुलन बनाए रखते हैं, इस संकट में global stability के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
भारत की भू-राजनीतिक स्थिति
भारत की गुट-निरपेक्ष नीति इसे मध्य-पूर्व संकट में एक अनूठी स्थिति प्रदान करती है। भारत का चाबहार बंदरगाह के माध्यम से ईरान के साथ रणनीतिक सहयोग और इजरायल के साथ रक्षा और प्रौद्योगिकी साझेदारी इसे दोनों पक्षों के साथ मजबूत संबंध देती है। इस युद्ध का भारत पर कई प्रभाव हो सकते हैं। तेल आपूर्ति व्यवधान भारत की ऊर्जा सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है, क्योंकि भारत मध्य-पूर्व से तेल और गैस पर निर्भर है। इसके अलावा, इस क्षेत्र में रहने वाले लाखों भारतीय प्रवासी की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है। भारत ने पहले यमन और यूक्रेन जैसे संकटों में प्रवासी निकासी में सफलता हासिल की है, और इस बार भी वह ऐसा करने में सक्षम है। non-aligned policy, Chabahar port, और Indian diaspora भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करते हैं।
पीएम मोदी की कूटनीतिक रणनीति
पीएम मोदी (PM Modi) की कूटनीति ने भारत (INDIA) को वैश्विक मंच पर एक जिम्मेदार शक्ति के रूप में स्थापित किया है। हाल ही में इजरायल के नेतृत्व के साथ उनकी बातचीत में, उन्होंने क्षेत्रीय स्थिरता और शांति मध्यस्थता पर जोर दिया। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और जी20 जैसे मंचों पर PM Modi’s diplomacy ने भारत को peace mediation का एक मजबूत समर्थक बनाया है। ईरान के साथ भारत के संबंधों का उपयोग कर पीएम मोदी दोनों पक्षों को संवाद के लिए प्रेरित कर सकते हैं। उनकी यह रणनीति regional stability को बढ़ावा देती है और भारत को global peace के लिए एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाती है।
भारत की संभावित रणनीतियां
भारत इस संकट में निम्नलिखित रणनीतियों को अपना सकता है:
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कूटनीतिक मध्यस्थता: भारत अपनी गुट-निरपेक्ष नीति का उपयोग कर इजरायल-ईरान तनाव को कम करने के लिए बातचीत को बढ़ावा दे सकता है।
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ऊर्जा सुरक्षा: तेल आपूर्ति व्यवधान से बचने के लिए भारत वैकल्पिक स्रोतों की तलाश कर सकता है।
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प्रवासियों की सुरक्षा: मध्य-पूर्व में भारतीय प्रवासी की सुरक्षा के लिए प्रवासी निकासी योजनाएं तैयार की जा सकती हैं।
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वैश्विक मंचों पर सक्रियता: संयुक्त राष्ट्र और ब्रिक्स जैसे मंचों पर भारत शांति पहल को आगे बढ़ा सकता है।
Diplomatic Mediation, Energy Security और United Nations भारत की रणनीति के प्रमुख हिस्से हैं।
इजरायल-ईरान युद्ध और तीसरे विश्व युद्ध की आशंका ने वैश्विक समुदाय को एक कठिन स्थिति में ला खड़ा किया है। भारत की शांति भूमिका और पीएम मोदी नेतृत्व इस संकट में वैश्विक स्थिरता को बढ़ावा दे सकता है। भारत को अपने आर्थिक हितों और रणनीतिक स्थिति की रक्षा के साथ-साथ कूटनीतिक समाधान को प्राथमिकता देनी होगी। PM Modi leadership और India’s Peace Role इस संकट को हल करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। Diplomatic Solutions और Global Stability के लिए भारत की सक्रियता इसे एक वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करती है।