Chandrayaan 3 ने भेजीं चंद्रमा की अनदेखी तस्बीरें, NASA की भी फटीं आंखें

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी ISRO ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) से ली गई चांद की पहली तस्वीरों को शेयर किया है। चंद्रयान स्पेसक्राफ्ट ने ( Chandrayaan 3) इन तस्वीरों को 5 अगस्त को लिया था जिसे ‘LVM3-M4/चंद्रयान-3 मिशन’ ट्विटर हैंडल से रविवार रात को को ट्वीट किया गया। 45 सेकंड के वीडियो को जारी करते हुए इसरो ने लिखा, ‘5 अगस्त 2023 को चांद की कक्षा में जाते वक्त चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट से यूं दिखा चांद।’ वीडियो में चंद्रमा की सतह पर नीले, हरे रंग के कई गड्ढे दिख रहे हैं। इस बीच रविवार देर रात चंद्रयान 3 ने चांद ने कामयाबी के साथ चांद का चक्कर काटते हुए अपनी कक्षा बदली है।

इसरो ने चंद्रयान 3 से ली गई चांद की तस्वीरों को रविवार को उसके ऑर्बिट बदलने से एक दो घंटे पहले ही जारी किया। चंद्रयान 3 ने रविवार देर रात चांद का चक्कर लगाते हुए कामयाबी से अपना ऑर्बिट बदला। सब कुछ पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक हुआ। इसरो ने ट्वीट कर जानकारी दी कि अब चंद्रयान 3 चांद के और करीब है। अब वह चांद की उस कक्षा में है जो पृथ्वी के इस उपग्रह की सतह के सबसे नजदीक होने पर 170 किलोमीटर और सबसे दूर होने पर 4313 किलोमीटर की दूरी पर होगा। अब 9 अगस्त को देर रात 1 बजे से 2 बजे के बीच दूसरी प्रक्रिया होगी।

इससे पहले, शनिवार को जब चंद्रयान 3 पहली बार चांद की कक्षा में गया तब उसने धरती पर इसरो सेंटर को संदेश भेजा- मुझे चांद का गुरुत्वाकर्षण महसूस हो रहा है। यान ने करीब 3,84,400 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद चांद की कक्षा में दस्तक दी।

चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। 40 दिनों के सफर के बाद यह चांद पर पहुंचेगा। रविवार को उसके सफर का 23वां दिन है। वह कई जटिल प्रक्रियाओं के बाद 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव इलाके में सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। अगर सॉफ्ट लैंडिंग कामयाब हुई तो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत पहला देश होगा।
chandrayaan3
चंद्रयान- 3 भारत का महत्वाकांक्षी स्पेस मिशन है। इस पर करीब 600 करोड़ रुपये की लागत आई है। भारत ने इससे पहले 2019 में चंद्रयान-2 मिशन भेजा था लेकिन उसके लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाई थी। चांद पर क्रैश लैंडिंग के बाद लैंडर से इसरो का संपर्क टूट गया था। लॉन्चिंग के 47 दिनों बाद चंद्रयान-2 के साथ गया लैंडर विक्रम बस चांद को चूमने ही वाला था लेकिन वह नहीं हो सका। इस बार करोड़ों भारतीयों को उम्मीद है कि पिछली कसर जो छूट गई थी, वह पूरी होगी और इस बार लैंडर चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करके इतिहास रचेगा।

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