BJP Assembly Election 2023 नतीजों के बाद बीजेपी ने कर दिया खेला….!

BJP Assembly Election 2023 पांच राज्यों में से चार विधानसभा चुनावों के नतीजे सामने आ चुके हैं। छत्तीसगढ़ में बीजेपी की वापसी हुई है। बहुमत से ६ सीट ज्यादा के साथ बीजेपी वापस आई है। यह नतीजे बीजेपी के लिए सुखद हैं, लेकिन उतने नहीं जितने २०१८ में कांग्रेस के लिए थे। कांग्रेस ने रमन सरकार को हराकर ६८ सीटें जीती थीं।

BJP Assembly Election, Raipur, CG

बीजेपी को २०२३ में ५४-५५ सीटें मिली हैं। मतलब यह है कि अगर २०२४ में छत्तीसगढ़ से बीजेपी को अच्छी आशा रखनी है तो इन १३-१४ सीटों पर और ज्यादा काम करना होगा।

BJP Assembly Election, Bhopal, MP

मध्य प्रदेश में १६४ सीटों पर कब्जा करके बीजेपी ने बीजेपी को आश्चर्यचकित कर दिया है। इस जीत का श्रेय तो आम आदमी पार्टी को देना चाहिए। क्यों कि फ्री की रेवड़ी बांटने की प्रथा आम आदमी पार्टी ने शुरु न की होती तो बीजेपी को भी उसी ढर्रे पर नहीं चलना पड़ता। हालांकि यह बात अलग है कि बीजेपी ने फ्री की रेवड़ी बांटने का तरीके की चुनावी राज्यों में मॉडर्न शक्ल देकर पेश किया। उसका फायदा भी मिला। (फ्री बी तो कथित विकसित देश भी बांटते हैं।) बीजेपी की इस बड़ी जीत ने मध्यप्रदेश में नेतृत्व संकट को जन्म दिया है। मामा की अगर ताजपोशी तो कितने दिनों के लिए? क्या लोक सभा चुनावों तक! यदि ये आशंकाएं सच हैं तो फिर मध्यप्रदेश का ‘मामा’ का खिताब किसके नाम होगा? और हाँ, मामा यानी शिवराज सिंह का क्या होगा? क्या मामा केंद्र में मंत्री बनेगा। ये सब बीजेपी के आंगन में आने वाला है।

BJP Assembly Election, Jaipur, Rajasthan

राजस्थान में अशोक गहलौत जानते थे कि कांग्रेस की वापसी मुश्किल है। उससे ज्यादा मुश्किल बीजेपी के सामने थी। वो मुश्किल यह कि क्या बीजेपी राजस्थान में जरूरी बहुमत जुटा भी पाएगी या बहुमत का कांटा नजदीक आकर रुक जाएगा। चुनावों के समय राजस्थान बीजेपी में कई धड़े अलग-अलग दिशा में काम कर रहे थे। सभी धड़े जीत सुनिश्चित होने पर अपना मुख्यमंत्री चाहता था। बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने बड़ी सूझ-बूझ से सभी धड़ों को पहले चुनाव जीतने की लक्ष्य रखा, मुख्यमंत्री पद पर फैसला बाद में करने को कहा। ऐसा माना जा रहा था कि बीजेपी राजस्थान में सबसे बड़ी पार्टी तो बन सकती है लेकिन सत्ता पर काबिज होने के लिए निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन की जरुरत होगी। शायद इसीलिए चुनाव नतीजे घोषित होने से पहले बीजेपी नेतृत्व ने बसुंधरा राजे को एक्टिव कर निर्दलीयों से संपर्क भी साधाना शुरू कर दिया था। लेकिन राजस्थान की जनता ने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की इस समस्या को भी खत्म कर दिया क्यों कि अब राजस्थान की सत्ता किसे सौंपी जाए इसके बीजेपी नेतृत्व को ज्यादा परेशानी नहीं होगी।

BJP Assembly Election 2023 Telangana

मगर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व पर सवाल तो यह उठता है,  तेलंगाना में बीजेपी ने सिर्फ १८ सीटों पर ही एक्टिव कैंपेन क्यों किया। बीजेपी अगर ६० सीटों पर ही एक्टिव कैंपेन करती तो तेलंगाना में भी की सत्ता की ओर बढ़ रही होती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार ३ दिसंबर की शाम बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यालय में कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए तेलंगाना को तेलगू में संक्षिप्त लेकिन सारगर्भित संदेश दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने तेलंगाना के मतदाताओं से कहा कि बीजेपी उनका दिल से आभार व्यक्त करती है और उनकी सेवा में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। पीएम मोदी का यह संदेश २०२४ में होने वाले आम चुनावों के मद्देनजर माना जा सकता है। लेकिन सवाल वापस वही आजाता है कि पीएम मोदी को-बीजेपी को तेलंगाना पर इतना ही विश्वास है और तेलंगाना की जनता भी बीजेपी को इतना प्यार करती है तो फिर विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपनी शक्ति और सामर्थ्य का भरपूर प्रदर्शन क्यों नहीं किया। तेलंगाना की जनता तो तैयार बैठी थी बीजेपी की मेहनता का उचित पारिश्रमिक देने के लिए। बीजेपी ने जिन सीटों पर एक्टिव कैंपेन किया उनमें से ८ उम्मीदवारों को तेलंगाना की जनता ने विधानसभा भेज दिया।

BJP Assembly Election 2023 Modi at BJP HQ

राजनीति में पर्दे के सामने जो दिखाई देता है पर्दे के पीछे उसके उलट हो रहा होता है। कहीं ऐसा ही तेलंगाना में भी ऐसा ही कुछ नहीं हुआ। क्या तेलंगाना में बीआरएस और बीजेपी में कोई डील हुई जिसके चलते बीजेपी मात्र १८ सीटों पर पर कैंपेन किया! आखिर तेलंगाना में बीजेपी ने ऐसा किया क्यों? तेलंगाना के चुनाव मैदान बीजेपी के एक उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने केसीआर यानी तेलंगाना के निवर्तमान मुख्यमंत्री और भावी मुख्यमंत्री कांग्रेस के रेवंत रेड्डी को भी हरा दिया। इन दिग्गज का नाम है कटिपलै वैंकट रमन्ना रेड्डी। कटिपल्लै वैंकट रमन्ना रेड्डी का कमारेड्डी विधानसभा में इतना प्रभाव है कि कांग्रेस के अध्यक्ष रेवंत रेड्डी और बीआरआस प्रमुख केसीआर को दो-दो विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ना पड़ा। केसीआर की तरह रेवंत रेड्डी ने भी दो विधानसभाओं से चुनाव न लड़ा होता तो शायद आज वो मुख्यमंत्री बनने की ओर अग्रसर नहीं हो रहे होते।

इसे भी पढ़ें- ३ राज्यों में बीजेपी को किस जुगाड़ के मिला बहुमत-यहां पढ़ें पूरी कहानी 

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