Jamiat Ulema-e-Hind
मुस्लिम निकाय जमीयत ने एक बयान में कहा कि हालांकि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सोमवार को हिंसा प्रभावित नूंह में विध्वंस अभियान को रोकने का आदेश दिया, लेकिन विस्थापित लोगों के पुनर्वास और उन्हें मुआवजा देने का आदेश नहीं दिया।
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने बुलडोजर ऑपरेशन के पीड़ितों के पुनर्वास, मुआवजे और ट्रांजिट हाउस में आवास और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट से अपील की है। इसमें माननीय अदालत से अनुरोध किया गया कि सभी राज्यों को बुलडोजरों के अवैध विध्वंस से बचने के लिए निर्देश जारी किया जाए या उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
इसने अदालत से अनुरोध किया कि अन्य राज्य बुलडोजर कार्रवाई कर रहे हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर स्थगन आदेश के अलावा राज्यों को कोई निर्देश नहीं दिया है।
याचिका में आगे कहा गया है कि “बुलडोजर चलाना गैरकानूनी है, चाहे बुलडोजर किसी भी धर्म के लोगों की संपत्ति पर चले। कथित आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाना या सिर्फ इसलिए कि कथित तौर पर फलां इमारत से पथराव किया गया था, दोषसिद्धि से पहले सजा देने जैसा है।” जो क़ानूनी तौर पर ग़लत है,”
याचिका में आगे कहा गया कि बिना नोटिस दिए किसी भी घर को नहीं तोड़ा जा सकता, भले ही उसका निर्माण अवैध हो, तोड़फोड़ की प्रक्रिया को अंजाम देने से पहले कानूनी प्रक्रिया पूरी करना जरूरी है।
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