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Cash For Query: टीएमसी की महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra)लोकसभा से निष्कासित

Cash For Query: शुक्रवार 8 अगस्त की अपराह्न में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने घोषणा की, “सदन सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) के कदाचार पर समिति के निष्कर्षों को उनके पद के लिए अनुचित मानते हुए बरकरार रखता है।

नतीजतन, एक सांसद के रूप में उनका बने रहना अनुचित माना जाता है।” लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की इस घोषणा के साथ ही लोकसभा सदस्य के रूप में महुआ मोइत्रा का पांच साल का कार्यकाल कैश-फॉर-क्वेश्चन लेनदेन से जुड़े आरोपों के कारण निचले सदन से उनके निष्कासन के साथ समाप्त हो गया।

लोक सभा अध्यक्ष पर विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि कैश फॉर क्वेरी रिपोर्ट पर चर्चा के बाद तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा को बोलने मौका नहीं दिया गया। अपने निष्कासन के पक्ष में प्रस्ताव पारित होने के बाद, तृणमूल नेता महुआ मोइत्रा ने लोकसभा के बाहर मीडिया से रू-ब-रू हुई और अपने निष्कासन को कंगारू अदालत का इंसाफ करार दिया। मोइत्रा ने ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ के आरोपों के संबंध में कहा कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूतों के बावजूद कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा कि दर्शन हीरानंदानी की गवाही के बगैर उनके खिलाफ कार्रवाई नाइंसाफी है।

उन्होंने कहा कि उनके खिराफ “कहीं भी नकदी या उपहार लेने का कोई सबूत नहीं है। महुआ ने कहा कि उनके निष्कासन की सिफारिश केवल इस आरोप पर आधारित थी कि मैंने अपना संसदीय ईमेल का लॉगिन दर्शन हीरानंदानी के साथ साझा किया था। ,महुआ ने कहा कि रूलबुक का कोई नियम ऐसा नहीं है जहां यह लिखा हुआ हो कि लॉगिन साझा करने की सजा सदन से निष्कासन हो सकती है।”

मोइत्रा के निष्कासन की सिफारिश करने वाली एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही 4 दिसंबर प्रस्तुत की जानी थी, लेकिन सरकार ने रणनीति को परिवर्तित किया और 8 तारीख को एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा के बात मतदान करवाया। चूंकि लोकसभा में बीजेपी नीत एनडीए को बहुमत प्राप्त है इसलिए महुआ मोइत्रा को सदन से निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित भी हो गया।

हालांकि विपक्ष ने इस कार्रवाई को हड़बड़ी में लिया गया कदम बताया और कहा जितनी तेजी से महुआ मोइत्रा के खिलाफ कार्रवाई की गई वो अप्रत्याशित था। कांग्रेस और तृणमूल पार्टी दोनों ने रिपोर्ट की समीक्षा के लिए अतिरिक्त समय का अनुरोध किया।

महुआ मोइत्रा पर आरोप और विपक्ष का समर्थन

महुआ मोइत्रा पर आरोप था कि उन्होंने विदेश में रहते हुए अपने संसदीय ईमेल के लॉगिन का एक्सेस उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी को दिया। इसके अलावा दर्शन हीरानंदानी से नकदी और उपहार भी स्वीकार किए। हीरानंदानी के इशारे पर महुआ मोइत्रा ने गौतम अडानी और अडानी समूह पर निशाना साधते हुए तमाम सवाल सदन में उठाए।

दरअसल, इस मामले में प्रारंभिक शिकायत सुप्रीम कोर्ट के वकील और महुआ मोइत्रा के ‘एक्स’ अनंत देहाद्राई ने दर्ज कराई थी, जिसे बाद में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष के पास भेजा था। इसके बाद मामला एथिक्स कमेटी के पास भेजा गया, जिसने निशिकांत दुबे, जय अनंत देहाद्राई और महुआ मोइत्रा से पूछताछ के बाद उन्हें निष्कासित करने की सिफारिश की। लोकसभा ने आचार समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई की, जिसके परिणामस्वरूप मोइत्रा को निष्कासित कर दिया गया।

महुआ मोइत्रा का निष्कासन विपक्षी एकता का केंद्र बिंदु बन गया क्योंकि मोइत्रा के निष्कासन के बाद सोनिया गांधी ने सार्वजनिक रूप से उनका समर्थन किया। बहस के दौरान, कांग्रेस के लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी ने टिप्पणी की कि लंबी रिपोर्ट को महज दो घंटे के भीतर समझना संभव नहीं है।

ममता बनर्जी ने कार्रवाई को ‘महुआ के साथ अन्याय’ बताया

तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने महुआ को निष्कासित करने प्रक्रिया की आलोचना करते हुए कहा कि महुआ के साथ अन्याय हुआ है। बनर्जी ने बहस में शामिल होने से पहले 495 पेज की रिपोर्ट की समीक्षा के लिए सभी दलों को केवल आधा घंटा आवंटित करने की पर्याप्तता पर सवाल उठाया।

उन्होंने आईएनडीआई एलायंस का उल्लेख करते हुए विभिन्न विपक्षी दलों के बीच एकता की सराहना की और महुआ के मामले में पूर्ण समर्थन देने पर आभार जताया। ममता बनर्जी ने महिलाओं और युवा पीढ़ी की महुआ मोइत्रा के प्रतिनिधित्व की आवश्यकता पर जोर दिया और, महुआ को अपना पक्ष रखने के अवसर से वंचित करने का आरोप लगाया और कहा कि यह महुआ मोइत्रा का निष्कासन नहीं बल्कि लोकतंत्र के साथ विश्वासघात के समान है।

महुआ मोइत्रा के निष्कासन की टाइमलाइन

15 अक्टूबर: भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के पास शिकायत दर्ज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्हें लोकसभा में अडानी के खिलाफ सवाल उठाने के बदले दर्शन हीरानंदानी से नकद और उपहार मिले।

17 अक्टूबर: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शिकायत को आगे की जांच के लिए एथिक्स कमेटी को भेजने का निर्देश दिया.

19 अक्टूबर: दर्शन हीरानंदानी ने संसद की वेबसाइट पर प्रश्न प्रस्तुत करने के लिए मोइत्रा के संसद लॉगिन के उपयोग की पुष्टि करते हुए एक हलफनामा प्रस्तुत किया।

2 नवंबर: महुआ मोइत्रा पूछताछ के लिए एथिक्स कमेटी के सामने पेश हुईं.

9 नवंबर: नैतिकता समिति ने महुआ मोइत्रा के निलंबन की सिफारिश करने वाली एक रिपोर्ट का समर्थन किया।

8 दिसंबर: महुआ मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव करने वाली आचार समिति की रिपोर्ट को बहस के लिए लोकसभा में पेश किया गया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें सदन से निष्कासित कर दिया गया।

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